शंकाओं का समाधान रणनीति पर चर्चा
पाठक मित्रों, इस बार के अंक में अभिनव राजस्थान की सम्पूर्ण योजना आपके समक्ष प्रस्तुत है। हमारे 10 हजार पाठकों को अपने सपने के राजस्थान की समग्र जानकारी देने का प्रयास है। कई पाठक नये जुड़े हैं, उनको भी नये राजस्थान के बारे में हमारी सोच का पता चलना चाहिए। इसलिए हमारे सातों विषयों को एक साथ, व्यवस्थित ढंग से इस अंक में स्पष्ट किया गया है।
मित्रों, मैं यह स्पष्ट कर दूँ कि इतने गंभीर विषयों पर अकेले व्यक्ति को लिखना काफी कठिन होता है। बिना विज्ञापन, लगातार 8 पेज लिखना बड़ा चुनौती भरा कार्य है। फिर भी जिस प्रकार से आप लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं, उनसे मेरा विश्वास, मेरा हौंसला कई गुना बढ़ा है। मैं यह भी जानता हूँ कि मेरा साहित्य का ज्ञान अत्यंत सीमित है, मेरी शब्दावली स्थापित लेखकों-विद्वानों जैसी नहीं है। ऐसा होने पर भी आप लोगों ने मेरी लेखन शैली को सराहा है। यह मेरे लिए सम्मान की बात है, लेकिन अहम की नहीं। बात आप तक पहुँच पा रही है, इतना काफी है।
वैसे भी 25 दिसम्बर तक मैं अकेला लिखूँगा। इसके बाद रोचक राजस्थान में आप अभियान से जुडऩे वाले अनेक विद्वानों की रचनाएँ पढ़ेंगे। चित्रासिंह की एक गजल याद आती है, ‘इसमें कोई शिकवा, न शिकायत, न गिला है। यह भी कोई खत है, जो मोहब्बत से भरा है।’ वाकई में रोचक राजस्थान अभी गम्भीरता से भरा पड़ा है। जनवरी 2012 से इसका नया रूप राजस्थान में अपनी खुशबू बिखेरने लगेगा। बस एक बार 25 दिसम्बर 2011 को अभिनव राजस्थान की औपचारिक शुरूआत हो जाये।
वैसे भी 25 दिसम्बर तक मैं अकेला लिखूँगा। इसके बाद रोचक राजस्थान में आप अभियान से जुडऩे वाले अनेक विद्वानों की रचनाएँ पढ़ेंगे। चित्रासिंह की एक गजल याद आती है, ‘इसमें कोई शिकवा, न शिकायत, न गिला है। यह भी कोई खत है, जो मोहब्बत से भरा है।’ वाकई में रोचक राजस्थान अभी गम्भीरता से भरा पड़ा है। जनवरी 2012 से इसका नया रूप राजस्थान में अपनी खुशबू बिखेरने लगेगा। बस एक बार 25 दिसम्बर 2011 को अभिनव राजस्थान की औपचारिक शुरूआत हो जाये।
लेकिन 25 दिसम्बर से पहले एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव होगा – 30अक्टूबर (रविवार) 2011को। इस दिन हमारे सभी पाठकों, सहयोगियों और शुभचिन्तकों की एक आवश्यक बैठक मेड़ता शहर में होगी। सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक हम बैठेंगे और अभिनव राजस्थान अभियान से जुड़े कई विषयों पर अपनी शंकाओं का समाधान करेंगे। हमारी रणनीति को और पुख्ता करेंगे। जिन विषयों पर मंथन होगा, वे होंगे –
1. हमारे अभियान का तरीका क्या होगा? आंदोलन, अनशन, ज्ञापन, लेखन, याचनाएँ, आलोचनाएँ, विश्लेषण या केवल चिंता-चिंतन।
2. क्या हमारे अभियान पर कोई सरकार या राजनैतिक दल ध्यान देंगी? नहीं देंगी, तो हम क्या करेंगे?
3. राजनीतिक दलों से हमारे सम्बन्ध कैसे होंगे? हमारा नेताओं-अफसरों के प्रति रवैया क्या रहेगा? क्या हम भी उन्हें चोर-लुटेरे कहने वाले बन जायेंगे, या गम्भीरता से बोलेंगे?
4. हमारा मीडिया से क्या नाता रहेगा? क्या हम मीडिया पर निर्भय होकर आगे बढ़ेंगे? क्या हम अखबार में छपने या चैनल पर दिखने की संजीवनी पर अभियान चलायेंगे?
5. हमारी वित्त व्यवस्था कैसी होगी? अभियान का खर्च कै से निकलेगा? क्या हम कुछ धनी लोगों से सहायता लेक र अभियान की कमान उनको सौंप देंगे और उनके इशारों पर नाचेंगे?
6. अभियान का नेतृत्व कौन करेगा? व्यक्तिगत नेतृत्व होगा या सामूहिक? किन सावधानियों की हमें पहले से ही अपेक्षा रहेगी?
7. हमारा संगठन कैसा होगा? अनौपचारिक या औपचारिक? क्या यह संगठन राजनैतिक महत्त्वाकांक्षाएँ रखेगा? या फिर गैर-राजनैतिक होने का चोला ओढक़र मुँह छुपाये राजनीति करेगा और बाबा या अन्ना की तरह असमंजस का माहौल बनाये रखेंगे?
8. कई ज्वलंत विषयों पर हमारी क्या रणनीति रहेगी? भ्रष्टाचार, आरक्षण, आतंकवाद, भारत की विदेश नीति और जातिवाद पर हमारी सोच और योजना कैसी होगी?
9. हमारी 25 दिसम्बर की आम सभा में मंच पर कौन लोग होंगे? क्या हम राजनेताओं को भी इसमें बुलायेंगे?
10. अन्य कोई भी शंका, जो आपको है, लेकिन जिसके बारे में आप अभी तक हमें नहीं बता पाये हैं और बताना चाहते हैं।
30अक्टूबर 2011को इस मंत्रणा का उद्देश्य यही है कि अप जिस किसी अभियान या व्यक्ति से जुड़ें, तो उसके बारे में पूरी जानकारी और तहकीकात करके जुड़ें। लोकतंत्र का यही तकाजा है। इसी सावधानी की कमी के कारण भारत के लोग बार-बार धोखे खा जाते हैं। कोई भी नया व्यक्ति या विचार आता है, तो हम स्वभावत: उसमें किसी अवतार या चमत्कार को देखने लग जाते हैं और पीछे हो जाते हैं। प्रचार तंत्र व्यक्ति को अवतार या विचार को चमत्कार बताने में माहिर होते ही हैं। वे सुबह-शाम हमारे मस्तिष्क पर चोटें कर हमें अपना समर्थन देने पर मजबूर कर देते हैं। दुर्भाग्य से अंत में निराशा ही हाथ लगती है। कारण? हम पूरी जानकारी के बिना जुड़ जाते हैं।
इसलिए मित्रों, 30अक्टूबर एक सुनहरा अवसर होना चाहिये। आप सभी का स्वागत है। सरकारी कर्मचारी निश्चिंत होकर आयें, क्योंकि हम सरकार के विरूद्ध जहर उगलने का कार्य नहीं करने वाले हैं। 30 अक्टूबर 2011 को मेड़ता शहर में आपके पधारने की सूचना समय पर दें, ताकि व्यवस्थाओं को आपके अनुकूल, अनुरूप व सुचारू बनाया जा सके। यह मीरां की नगरी है, जहाँ आप भगवान चारभुजानाथ के दर्शन कर सकते हैं, भंवाल माताजी का स्थान भी पास ही है और पुष्कर राज और ख्वाजा साहब की दरगाह (अजमेर) भी 60-70 किमी के दायरे में है। 26 अक्टूबर को दीपावली है, और इसके चार दिन बाद 30 अक्टूबर है, जो रविवार है। लेकिन मित्रों, शादियों में व्यस्त होने के बहाने से बचें। बहुत हो गया – जीमाना, अब देश निर्माण पर ध्यान लगायें। हाँ, घर में शादी है, तो अलग बात है, परन्तु यूँ ही जान-पहचान वालों के यहाँ जीमते रहना अब प्रदेश-देश हित में बंद होना चाहिए।
30अक्टूबर 2011 (रविवार) को आयोजित होने वाली विशेष बैठक में भाग लेने के लिए सूचना निम्र फोन नं. या ईमेल पते पर दें।
94141-18995, 01590-230111, support@abhinavrajasthan.org
सूचना देने की अंतिम तिथि : 20 अक्टूबर 2011
BAHUT BAHUT AABHAR SIRJI APKA….
aap ka abiyan vichar jan jan tak puncha.