RAS pre में सफल हुए साथियों को बधाई देने का मन ही नहीं हुआ कल. क्यों ? क्योंकि अभी तो पिछली भर्ती पर भी तलवार लटकी हुई है.
यही हाल REET पास करके भी लटके हुए युवा साथियों का है.
लापरवाह अफसरों ने युवाओं का भविष्य चौपट कर रखा है. कोर्ट में जाकर सच्चाई रखते ही नहीं हैं. युवाओं के टूटते सपनों का उनको अहसास ही नहीं है. उनको अपनी मलाई से आगे कुछ सूझता नहीं है. राजनेताओं के चापलूसों की फ़ौज मुख्य पदों पर है. RPSC में भी अब जाति के आधार पर सदस्य बनते हैं ! व्यवस्था इस कदर सड़ गई है.
और युवा ?
वे किस किस बात पर जेब से रूपये लगाकर केस करें, आन्दोलन करें. बड़ी मेहनत से कोई परीक्षा पास करो और फिर संघर्ष करो नियुक्ति के लिए. यह क्या बात हुई ? ऐसे में वे भी जाति-सम्प्रदाय की अफीम खाकर मन बहलाते हैं और जिंदाबाद-मुर्दाबाद में लग जाते हैं.
जनप्रतिनिधि ?
उनको टिकिट हथियाने, चुनाव जीतने और राज करने से फुर्सत मिले तो इन विषयों पर विधानसभा में चर्चा करते. आज की तारीख में न मुख्यमंत्री या कोई अन्य मंत्री संतरी इस काबिल है कि अफसरों से फाइल लेकर अंग्रेजी में लिखे नियमों को पढ़कर समझकर अधिकारियों को दिशा निर्देश दे सके. उल्टे इनको अफसर हांकते हैं !
पार्टियाँ ?
भाजपा से मामला संभला, एक साल वाली भर्ती तीन साल में भी ठीक से नहीं हुई और कॉंग्रेस ने चुनाव आयोग को कहा है कि इन युवाओं को जो REET में चुने गए हैं, नियुक्ति नहीं देना है ! वाह !
समाधान ?
अगर अभिनव राजस्थान पार्टी इस बार सफल होती है और जागरूक लोग डंडा (स्टाम्प पेपर ) और टॉर्च (RTI) लेके खड़े रहें तो समाधान हो सकता है.
बाकी लोलीपोप वाली बातें तो हर पांच साल में होती हैं.
(राजस्थान के युवा ध्यान कर लें …अच्छा जीवन नींद में या आँख बंद करके चलने से नहीं मिलेगा–सोचना समझना है और फिर वोट करना है. हमसे पीछे वालों ने भावना में आकर जाति-संप्रदाय के खेल में हमारा भविष्य लटका दिया है, वो गलती नहीं दोहरानी है.)
डॉ अशोक चौधरी, अभिनव राजस्थान पार्टी