(अभिनव जिलों में आज अलवर पर.)
अभिनव अलवर,
Star of Rajasthan.
जिन मित्रों ने अलवर जिला नहीं देखा है, वे बहुत मिस कर रहे हैं. यह जिला अरावली की छोटी छोटी पहाड़ियों से गिरा हुआ बहुत ही खूबसूरत क्षेत्र है. अपने जैसलमेर से ठीक उलट, जहाँ रेत के बड़े टीले हैं. यही तो राजस्थान की ब्यूटी है !
अलवर को कभी ‘मत्स्य जनपद’ के नाम से पुकारा जाता था. मत्स्य यानि मीन या मछली. ये लोग मछली से अपनी उत्पत्ति मानते थे. आज हम इन्हीं लोगों को मीना या मीणा के नाम से जानते हैं. पाडवों के वनवास से जुडी अनेक कहानियां यहाँ जनमानस और खंडहरों में बिखरी पडी हैं तो मालवा के ऋषि भर्तहरी की तपस्या भी यहीं हुई है. लेकिन इस महान संस्कृति को जब मुग़ल-अंग्रेज की दासता के नीचे रहना पड़ा तो यहाँ के आदमी का आत्मविश्वास टूट गया. भारत का एक मशहूर जनपद आज भ्रम के स्थिति में है, पहचान के संकट से जूझ रहा है. अभिनव राजस्थान में अलवर को पुनः मत्स्य जनपद के रूप में नए युग की आवश्यकताओं के अनुसार उभारा जाएगा.
आज कहने को यहाँ उद्योग खूब लगे हैं पर असल में यह औद्योगीकरण दिल्ली के प्रसार या फैलाव से ज्यादा कुछ नहीं है. यहाँ उपलब्ध सस्ती जमीन के कारण यह फैलाव हुआ है. इस कुरूप विकास ने जिले को क्या दिया है ? शिक्षा-स्वास्थ्य-सड़क-पानी-सुरक्षा की सुविधाओं का हाल आज भी बुरा है. या कहिये की यह विकास अलवर के आम परिवार को समृद्ध और खुशहाल करने के लिए नहीं हुआ है. समाज के एक अवसरवादी हिस्से को जरूर इस लूट में अपना हिस्सा मिला है पर शहर-गाँव में रहने वाले आम परिवार के लिए इस विकास का अर्थ मात्र प्रदूषण और निराशा है. रोजगार कितना मिला है, इसका अंदाजा अलवर में बेरोजगारों की सख्या गिनकर लगाया जा सकता है. हम अलवर को इस भ्रम और निराशा की स्थिति से बाहर लायेंगे.
अभिनव अलवर की पहली प्राथमिकता यहाँ की खेती, बागवानी और पशुपालन के उत्पादन को बढ़ने की रहेगी. इनसे जुड़े विभागों को युद्ध स्तर पर काम करना होगा और एक एक खेत, बाग़ और पशु को महत्वपूर्ण इकाई मानकर हर साल की उपलब्धि बतानी होगी. प्रकृति इस जिले पर खूब मेहरबान है पर संसाधनों का सही उपयोग नहीं होने से लोग खेती से ऊब गए हैं. खेती और पशुपालन को फिर लोकप्रिय बनाना होगा. साथ ही जिन लोगों के पास जमीन नहीं है, उनके लिए कुटीर और छोटे उद्योगों के माध्यम से सार्थक रोजगार प्लान किया जायेगा. हमें बड़े उद्योगों के शोषण में ज्यादा रुचि नहीं है. छोटे उद्योग ही भारत को बचा सकते हैं, बढ़ा सकते हैं. खेती, पशुपालन और छोटा उद्योग ही अलवर को समृद्ध करेगा. तभी सम्पूर्ण अलवर जिले का प्रत्येक परिवार हर साल बढ़ी हुई आमदनी के साथ जियेगा. सभी 40 लाख अलवरवासियों को ध्यान में रखे बगैर असली विकास कैसे हो सकता है ?
उच्च शिक्षा के उत्तम अवसर इस जिले को अपनी अभिनव संभाग योजना में मिलेंगे, जिसमें प्रत्येक संभाग पर विशिष्ट शिक्षा संस्थान होंगे जो अलवर के विद्यार्थियों को जयपुर या दिल्ली जाने को मजबूर नहीं होने देंगे. अलवर और भरतपुर मिलकर एक संभाग होंगे और इनके लिए एक मेडिकल कॉलेज, एक इंजिनीयरिंग कॉलेज, एक मेनेजमेंट कॉलेज, एग्रीकल्चर-नर्सिंग-स्पोर्ट्स-आर्ट्स आदि कॉलेज होंगे और ये विश्वस्तरीय शिक्षा के केंद्र होंगे. टाईमपास या डिग्री वितरण के केंद्र नहीं होंगे. इन केन्द्रों पर केवल इन्हीं दो जिलों के विद्यार्थियों को प्रवेश मिलेगा. दूसरी ओर हमारी अभिनव शिक्षा परिवहन सुविधा से अलवर जिले की सभी पंचायत समितियों पर स्थित सामान्य डिग्री कॉलेजों में गाँव-ढाणी में रहने वाले बालक-बालिकाएं अपने घर पर रहकर ग्रेजुएशन कर लेंगे.
स्वास्थ्य और चिकित्सा का प्रबंध अभिनव राजस्थान में एक स्वतंत्र बोर्ड करेगा और उसके माध्यम से हर पंचायत समिति का अस्पताल सभी विशेषज्ञों की सुविधाओं से लैस होगा. ऐसा ही प्रबंध बिजली-पानी-सड़क का होगा. एक बार सड़क बन गई तो दस साल कुछ नहीं बिगड़ना. जिले में एक भी टोल रोड नहीं होगी. पानी-बिजली कम से कम लागत पर मिलेंगे क्योंकि जनता इनके लिए ही तो सेल्स टेक्स और अन्य कर देती है.
यह सब कैसे होगा ? क्या कोई दिवास्वप्न है ? नहीं जी. यह स्वप्न तभी तक लगता है, जब तक जनजागरण नहीं है, अन्धेरा है. राजस्थान और अलवर के पास पैसे की कमी नहीं है. जागृत जनता होगी तो एक एक पैसे का हिसाब होगा और इसी से वह सब हो जाएगा, जिसकी हम कल्पना कर रहे हैं. और हम इस कल्पना को साकार करने के लिए आगे बढ़ चुके हैं. राजस्थान भर में जनजागरण चल रहा है. अलवर में भी शुरू हो चूका है. अभी सोशल मीडिया और सूचना के अधिकार से कुछ मित्र यह काम शुरू कर चुके हैं. आने वाले दिनों में हम एक बड़ा जागृत समूह यहाँ खड़ा करेंगे जो सभी सरकारी व्यवस्थाओं को समझेगा और उनमें सुधार करने के लिए हमारी अभिनव योजना पर काम शुरू कर देगा.
अभिनव अलवर से अभिनव राजस्थान और अभिनव भारत की हमारी यात्रा में भाग लीजिये.
वन्दे मातरम् कीजिये.