एक निराशा में डूबा हुआ, अन्धकार में डूबा हुआ लेख, राजस्थान के ताजा हालात पर, और अन्धकार के उस पार, आशा की किरण
एक निराशा में डूबा हुआ, अन्धकार में डूबा हुआ लेख, राजस्थान के ताजा हालात पर, और अन्धकार के उस पार, आशा की किरण. अच्छे से जानता-समझता हूँ कि आज भी राजस्थान के अधिकतर परिवार बहुत ही गरीब हैं. इतने कि घर में किसी भी छोटी मोटी बीमारी या किसी सामाजिक …
विस्तार से पढ़े»अभिनव राजस्थान का अभिनव उद्योग यानि छोटा उद्योग
अभिनव राजस्थान का अभिनव उद्योग.यानि छोटा उद्योग. प्रकृति और संस्कृति के साथ बढ़ता उद्योग. लेकिन विश्व के बाजार की मांग को पूरा करता उद्योग.जैसे कभी हुआ करता था. बहुत कम लोग जानते होंगे कि किसी समय में विश्व के बाजार में भारत का योगदान पचास प्रतिशत हुआ करता था. बाहर …
विस्तार से पढ़े»अपने जिले की मोनिटरिंग से देशभक्ति
अपने अपने जिले की मोनिटरिंग,ऐसा काम है जो देशभक्ति के नये आयाम बना देगा.आपको लगेगा कि देश संभालने का काम आप घर बैठे कर रहे हैं. अपने बच्चों, जीवन साथी, दोस्तों को बताने के लिए कुछ खास आपके पास होगा, जिस पर आपको गर्व होगा. (अभिनव राजस्थान अभियान) मित्रों, दिल्ली …
विस्तार से पढ़े»हम करेंगे किसान की फ़िक्र
अभिनव राजस्थान की अभिनव कृषि. भारत में किसान को exactly इस व्यवस्था में क्या चाहिए ? (छोड़ो यह मुआवजा, मेहरबानी. मूर्ख मत बनाओ. और आत्महत्या या गुटन या सिसकियाँ रोकना कहाँ तुम खादी वालों के बस का सौदा है. लोकनीति आने दो, हम अपने आप समाधान निकाल लेंगे. )पांच बातें, …
विस्तार से पढ़े»राजनीति से लोकनीति की ओर- राजस्थान का अगला चुनाव
अभिनव राजस्थान में राजनीति की बजाय लोकनीति होगी. तो चुनाव का क्या होगा ? चुनाव नहीं होंगे क्या ? चुनाव होंगे पर लोकनीति पर. कैसे ? थोड़ा तसली से समझें. कई मित्रों को लगता है कि मैं जब राजनीति के खिलाफ बोलता-लिखता हूँ तो, क्या चुनाव से परहेज है या …
विस्तार से पढ़े»राजस्थान से बाहर जा रही है पूँजी – wealth drain
राजस्थान से बाहर जा रहे हैं, पूँजी, व्यापारी, कारीगर, खनिज, फसलें. और राजस्थान जीमने में व्यस्त है, साफे बाँधने में व्यस्त है. वोट देने में व्यस्त है. विकास किस चिड़िया का नाम है ? नहीं पता. हम अभिनव राजस्थान में बताएँगे. सुबह उठने से लेकर सोने तक हम जिन चीजों …
विस्तार से पढ़े»आपां नहीं तो कुण ? आज नहीं तो कद ?
आम भारतीय आज भी चमत्कारों की आस में बैठा है.अब इस छद्म अवतारवाद को भारत से विदा हो जाना चाहिए. यह पुरानी आदत है. गजनवी ने सोमनाथ लूटा तो हजारों लोग किसी चमत्कार की आशा में ही बैठे रह गए थे. भगवान इसका कुछ करेंगे, इसे पाप लगेगा, ऐसा वे …
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