नागौर में पानी का प्रबंध कौन कौन कर रहा है ? नागौर ही क्या, राजस्थान में, भारत में. एक मजाक देखिये. यह भी कि सरकारें कैसे काम काम करती हैं. (share) एक विभाग है, जलदाय विभाग. दूसरा सिंचाई विभाग. तीसरा नहर विभाग. चौथा सिंचाई विभाग, पांचवा जलग्रहण विकास विभाग. छठा …
विस्तार से पढ़े»दो काम जो देंगे राजस्थान की जनता को बहुत राहत
आज राजस्थान में आज इन दो संस्थाओं के पदों को भरने की सख्त जरूरत है, अगर ऐसा होता है, तो प्रदेश की जनता को कोई परिवर्तन समझ आएगा। (share) 1. राजस्थान के सभी सीनियर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान और वाणिज्य संकायों के विषय विशेषज्ञ लगाए बगैर उच्च शिक्षा के द्वार …
विस्तार से पढ़े»रेल बजट की जगह अगर कृषि और लघु उद्योग का बजट होता !
रेल बजट को देखते हुए सपना आया कि काश ! इसकी जगह कृषि बजट पेश हो रहा होता. ऐसा नहीं है कि किसान पुत्र होने के कारण मैं खेती और किसान को लेकर ज्यादा आसक्त हूँ. हकीकत यह है कि भारत में रहने वाले दो तिहाई लोगों(59%) का खेती प्रत्यक्ष व्यवसाय है, योजना …
विस्तार से पढ़े»कर्मस्थली को एक आदर्श धार्मिक तीर्थ बनायेंगे
जब ‘अभिनव नागौर’ ‘अभिनव राजस्थान’ और ‘अभिनव भारत’ की बातें करते हैं तो अभिनव शुरुआत उस जगह पर भी होनी चाहिए, जहां मैं अपने परिवार के साथ रहता हूँ. जहां स्थाई निवास है. कुछ चार साल पहले मैंने इसी भाव से नगरपालिका चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई थी कि मीरां की इस …
विस्तार से पढ़े»शिवचरण माथुर आयोग की रिपोर्ट, बदल देगी ‘नेतागिरी’ के मायने
रिपोर्ट को लागू करवाने के हमारे प्रयास, रिपोर्ट लागू हो जाने पर नेता नहीं कर पायेंगे “तबादले” मई 1999 में राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे स्व. शिवचरण माथुर की अध्यक्षता में एक प्रशासनिक सुधार आयोग गठित हुआ था. तब अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे. माथुर ने अपनी रिपोर्ट अप्रैल 2000 में सरकार …
विस्तार से पढ़े»गणतंत्र या गुलाम तंत्र – लोकतंत्र या राजतंत्र
भाषा और कार्य तो यही कहते हैं २६ जनवरी पर विशेष किसी भी ग्रन्थ या ज्ञान का अन्य भाषा में अनुवाद करना टेढ़ा खेल होता है. मूल भावना के साथ छेड़छाड़ हुए बिना नहीं रहता है. जब वेदों का अनुवाद सरल भाषाओँ में किया जा रहा था, तब भी स्वार्थ …
विस्तार से पढ़े»सी एल जी का सच कितना खट्टा, कितना कड़वा
क्यों नहीं चाहती पुलिस कि जनता थाने के नजदीक आये ? कुछ जागरूक लोगों ने अपने अथक प्रयासों से एक व्यवस्था करवाई थी. संसद के माध्यम से नहीं, न्यायालय के माध्यम से. संसद के माध्यम से तो यह संभव ही नहीं था. व्यवस्था यह करवाई कि प्रत्येक पुलिस थाने के …
विस्तार से पढ़े»डॉक्टर बन जायेंगे फिर भगवान – ‘अभिनव राजस्थान’ में
एक अधूरा सपना एक कस्बे के सरकारी अस्पताल में सभी डॉक्टर अत्यंत सेवा भाव से जुटे हैं. जैसे वे किसी मिशन में काम करते हैं. वे समर्पित होकर अपने मरीजों को सँभालते हैं. किसी भी मरीज से कोई फीस नहीं लेते हैं. वे अपने वेतन में खुश हैं. कस्बे के …
विस्तार से पढ़े»यह पुलिस कैसे सुधरेगी – ‘अभिनव राजस्थान’ में
जरा गंभीरता से सोचिये. कोई भी पुलिस का अधिकारी या सिपाही अगर रिश्वत लेकर अपने कर्तव्य से विमुख होता है, तो क्यों होता है ? क्यों वह उस महान ‘वर्दी’ का महत्त्व नहीं समझता है, जो समाज ने उसे पहनाई है? क्यों वह भूल जाता है कि उसका वेतन समाज …
विस्तार से पढ़े»राजनैतिक पर्यटन – राजस्थान के परदेशी जन प्रतिनिधि
‘पधारो म्हारे देश’ हमारे अतिथियों, चुनाव लड़ने के लिए राजस्थान आओ। आतिथ्य या गुलामी ? हम सदा सुनते और कहते आये हैं कि हमारा प्यारा प्रदेश राजस्थान अपने ‘आतिथ्य’ के लिए विश्व भर में जाना जाता है। इसी ‘आतिथ्य’ की दुहाई देकर हम पर्यटकों को राजस्थान आने का न्योता …
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