पिछले दिनों मेड़ता तहसील में ‘अभिनव राजस्थान अभियान’ द्वारा चयनित गाँवों के दौरों से बहुत कुछ इस व्यवस्था के बारे में जानने को मिला. जयपुर से इन गाँवों की दूरी छः दशकों की आजादी के बाद भी कितनी है, इसे हमने प्रत्यक्ष महसूस किया. सरकारी विज्ञापनों और घोषणाओं का कितना …
विस्तार से पढ़े»‘अभिनव राजस्थान’ अभियान पर लेखक एवं समाजकर्मी सुरेश पंडित की टिप्पणी
प्रिय अशोक जी, ‘रोचक राजस्थान’ बड़ी रुचि के साथ पढ़ता रहता हूं पर आपको पत्र लिखने का अवसर पहली बार जून 2011 का अंक पढ़ कर आया है। आपके लेख- ‘देश किस ओर’ तथा ‘दिल्ली का ड्रामा’ इसलिये विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं क्योंकि इनमें भ्रष्टाचार के मुद्दे को …
विस्तार से पढ़े»दिल्ली का ड्रामा
मेरे एक पहचान वाले सरकारी डॉक्टर फोन करते हैं और कहते हैं कि हम सबको बाबा रामदेव का समर्थन करना चाहिये। ये महाशय, डॉक्टर साहब, अस्पताल कम ही जाते हैं, यह मैं जानता हूँ। मुफ्त की तनख्वाह उठाते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर परेशान है। तभी एक कपड़ा व्यापारी मुझे …
विस्तार से पढ़े»देश किस ओर ? अराजकता या नवनिर्माण ?
आज मूल प्रश्र यही है, जिस पर गम्भीरता से मंथन-चिंतन होना चाहिये। हल्की-फुल्की-छिछली बातों से ऊपर उठकर इस पर विचार करना चाहिये, कि आखिर आज के हालतों को देखते हुए भारत किस तरफ जा रहा है। क्या हम वाकई में एक विश्वशक्ति बनने जा रहे हैं या हमने ठगने के …
विस्तार से पढ़े»आओ खेलें, भ्रष्टाचार-भ्रष्टाचार
इस विषय पर लिखने से बचने की जितनी कोशिश करते हैं, उतना ही यह सामने आ खड़ा होता है। पिछले अंक में मैंने लिखा था कि बाबा रामदेव को अधिक जन समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं है। यही हुआ था कि अन्ना हजारे का पदार्पण हो गया। जैसे सब कुछ …
विस्तार से पढ़े»सोच बदले तो सरकार बदलेगी
क्या हम भ्रष्टाचार के अधिक गहरे कारणों की उपेक्षा नहीं कर रहे हैं? मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम ऐसा ही कर रहे हैं। हम उथलेपन की यह अपनी मौजूदा संस्कृति में इतने रचे-बसे हैं कि थोड़ी देर को ठहरकर यह भी नहीं सोचते कि भ्रष्टाचार से सम्बन्धित कानूनों और …
विस्तार से पढ़े»आजाद भारत की अजीब दास्तान
ये कहां आ गए हम यूं ही साथ चलते-चलते सिलसिला फिल्म में अमिताभ और रेखा जब यह गीत गायें, तब तक तो ठीक है, लेकिन भारत की सवा अरब जनशक्ति ऐसा समझे, तो गंभीर विषय बन जाता है। यूं ही साथ चलते-चलते! जी हाँ, यूं ही साथ चलते-चलते आज हम …
विस्तार से पढ़े»भ्रष्टाचार की केमिस्ट्री
यह पहली बार नहीं है कि भ्रष्टाचार पर इतना हल्ला मचा है। भ्रष्टाचार आलोचकों का मनपसन्द मुद्दा हुआ करता है। एक तरह से यह फैशन सा बन गया है कि समस्याओं की जड़ में भ्रष्टाचार बता दो, तो विवाद संक्षिप्त हो जाता है। ‘रोचक राजस्थान’ में प्रत्येक समस्या की तह …
विस्तार से पढ़े»उफ! ये गुलामी
जिस प्रकार आलस्य शरीर में कई प्रकार की बीमारियों का जनक है, गुलामी भी समाज में कई समस्याओं के मूल में है। और भारत में तो एक हजार वर्षों की लम्बी गुलामी रही है। हमारे राजस्थान में गुलामी के तीन स्तर रहे हैं। यहाँ के राजा भी गुलाम रह चुके। …
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