मुझे हिन्दू-मुस्लिम एकता में कोई रुचि नहीं. मुझे नहीं लगता कि इस विषय का अलग से महिमामंडन होना चाहिए.इस देश में रहने वाले सभी समूहों को प्रेम से रहना चाहिए.और देश को मजबूत करना चाहिए, जीवन को समृद्ध बनाना चाहिए. मैं समझता हूँ कि यह इस देश में एक बड़ा …
विस्तार से पढ़े»शिक्षक आज भी आख़िरी और एकमात्र उम्मीद है,
यह मैं यकीनन कह सकता हूँ. कैसे ? हम जब छोटे थे तब भी पटवारी, तहसीलदार, चिकित्सक और थानेदार द्वारा रिश्वतें लिए जाने की बातें सुनते थे पर हमारी स्कूल के शिक्षक तब ईमानदारी से हमें पढ़ाई करवाते थे. समय पर स्कूल आते थे, भारत के सपूतों की कहानियां सुनाते …
विस्तार से पढ़े»दो काम जो देंगे राजस्थान की जनता को बहुत राहत
आज राजस्थान में आज इन दो संस्थाओं के पदों को भरने की सख्त जरूरत है, अगर ऐसा होता है, तो प्रदेश की जनता को कोई परिवर्तन समझ आएगा। (share) 1. राजस्थान के सभी सीनियर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान और वाणिज्य संकायों के विषय विशेषज्ञ लगाए बगैर उच्च शिक्षा के द्वार …
विस्तार से पढ़े»व्यवस्था बदलनी है या बनानी है ? गंभीर प्रश्न है.
भारत में सुधारवादी भाषा में अक्सर यह लिखा-बोला जाता है कि व्यवस्था परिवर्तन करना है.वर्तमान व्यवस्था में दोष हैं और उसे बदलकर ही देश को, समाज को मजबूत किया जा सकता है. मैं पूछता हूँ कि भारत की व्यवस्था है कहाँ, जिसे बदला जाना है. यह व्यवस्था तो अंग्रेज की …
विस्तार से पढ़े»भारत के तथाकथित पढ़े लिखे(?) और अच्छे व्यक्ति(?) के बहाने.
कुछ समय पहले तक हम यह बात सुनते थे और मानते भी थे कि समझदार या अच्छे व्यक्ति का राजनीति में प्रवेश मुश्किल है या फिर यह कि उनके काम करने के लिए यहाँ की राजनीति में स्वस्थ माहौल नहीं है. लोग दारु और पैसे में बिकते हैं, टिकिट जुगाड़ …
विस्तार से पढ़े»अच्छाई की मार्केटिंग, ‘अभिनव राजस्थान’ में
अच्छाई की मार्केटिंग, ‘अभिनव नागौर’ में. ‘अभिनव राजस्थान’ में. हम सब मिलकर आज से शुरू करते हैं. facebook के मंच से. बुराई पर विजय का यह सबसे स्थाई और कारगर समाधान है.(share please) मित्रों, आपके आसपास अच्छे लोग होंगे, आपके गाँव-शहर- मोहल्ले में अच्छी परम्पराएं होंगी, अच्छी घटनाएं घटती होंगी. …
विस्तार से पढ़े»जिला संभालो, देश संभल जाएगा.
जिले की मोनिटरिंग का हमारा प्रयोग. क्या कर सकता है ? बहुत कुछ. एक जिले में लगभग 20 विभागों को हमें सक्रियता से मोनिटर करना होता है. हर महीने में वे अपने टारगेट्स के प्रति कितने सजग हैं, यह देखना होता है. राजस्थान और केंद्र की योजनाओं का क्रियान्वन कैसे …
विस्तार से पढ़े»किसानों के लिए कैसा होगा भारत का बजट ? हमारी नजर में.
केन्द्रीय बजट में किसानों को इस वर्ष आठ लाख करोड़ के ऋण. लेकिन ऐसा भी हो सकता था- भारत में छः लाख गाँव हैं. एक गाँव में एक वर्ष में खेती के लिए औसतन एक करोड़ रूपये की जरूरत पूरे गाँव को पड़ती है. इसमें डीजल, बीज, खाद और दवाइयां …
विस्तार से पढ़े»करदाता कौन ? परिभाषा मत बदलो यार !
करदाता कौन ? आज फिर परिभाषा पर लिखने का मन हो आया. इस बजट में करदाताओं के लिए क्या रहा ? ऐसा वाक्य आते ही लगता है कि करदाता वही है जो आयकर या income tax , corporate tax या निगम कर देता है या फिर Excise duty,Custom duty, VAT …
विस्तार से पढ़े»सनसनीखेज (Sensational) पत्रकारिता के दुष्प्रभाव (side effects)
मीडिया की कई ख़बरें सनसनी sensation के चक्कर में, अक्सर सच्चाई को ढक देती है. कई बार समाज का, किसी व्यक्ति, या संस्था का बड़ा नुकसान भी हो जाता है. दुष्कर्म, बलात्कार, दुर्घटना, धोखाधड़ी, रिश्वत आदि की ख़बरें. हम रोज सुबह ऐसी ख़बरें पढते हैं. अनजाने में ही सही शीर्षक …
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